नगर निर्माण योजनाः
यहाँ घरों का निर्माण एक सीध में सङको के किनारे व्यवस्थीत रूप से किया जाता था,जिनके दरवाजे गलियों या सहायक सङकों की ओर खुलते थे। भवन 2मंजिले भी होते थे। घरों में कई कमरे रसोईघर,स्नानघर तथा बिच में आंगन की व्वस्था होती थी। हङप्पा तथा मोहनजोदङो दोनो नगरों के अपने दुर्ग थे जहाँ शासक र्वग के लोग रहते थे। प्रत्येक नगर में दुर्ग के बाहर एक-एक उससे निम्न स्तर का शहर था जहाँ ईटों के मकानों में सामान्य लोग रहते थे। हङप्पा तथा मोहनजोदङो के भवन बङे होते थे। मोनजोदङो का अबतक का सबसे प्रसिद्ध स्थल है विशाल सर्वाजनिक स्नानागार,
जिसका जलाशय दुर्ग के टिले में है। यह ईटों के स्थापत्य का एक सुन्दर उदाहरण है। यह 11.88 मीटर लंबा 7.01मीटर चौङा और 2.43 मीटर गहरा है। दोनो सिरो पर तलाब तक जाने की सीङिया लगी है। बगल में कपङे बदलने के कमरे है। स्नानागार का फर्श पक्की ईटों का बना है। पास में पूरब दिशा की ओर एक कुआं है जिसका पानी निकालकर हौज मे डाला जाता था। हौज के कोने में नर्गम होता था। इस विशाल स्नानागार का उपयोग सार्वजनिक रूप से धर्मानुष्ठान संबंधी स्नान के लिए होता था। मोनजोदङो की सबसे बङी संरचना वहाँँ का अनाज रखने का कोठार है,जो 45.71मीटर लंबा और 15.23 मीटर चौङा है। हङप्पा के दुर्ग में कुल छः कोठार मिले है जो ईटों के चबूतरे पर दो पांतो में खङे है। यह सभी कोठार नदी के किनारे से कुछेक मीटर की दूरी पर है।
सिन्धु सभ्यता के प्रमुख शहर:
शहर वर्तमान क्षेत्र
मोनजोदङो लरकाना जिला,सिंध प्रांत
सिन्धु सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी और इस सभ्यता के नगरों के अवशेषों से नगर-विन्यास का परिचय मिलता है। इस सभ्यता का नगर निर्माण जाल पद्धित पर आधारित था। नगर की रक्षा के लिए उसके चारों ओर मजबूत प्राचीर बनाया जाता था। सङके एक दूसरे को समकोण पर काटती हुई चौङी बनायी जाती थी जिनके किनारे नालियों की उत्तम व्यवस्था होती थी।
रक्षा दिवार,चबुतरा व सङक बनाने में कच्ची ईट, विशाल भवन निर्माण में पक्की ईट, जल निकासी व्यवस्था में फन्नीदार ईट तथा मकान के किनारे, मकान के बाहरी हिस्से व मल निकाय व्यवस्था में L आकार की ईटों का इस्तेमाल होता था।
यहाँ घरों का निर्माण एक सीध में सङको के किनारे व्यवस्थीत रूप से किया जाता था,जिनके दरवाजे गलियों या सहायक सङकों की ओर खुलते थे। भवन 2मंजिले भी होते थे। घरों में कई कमरे रसोईघर,स्नानघर तथा बिच में आंगन की व्वस्था होती थी। हङप्पा तथा मोहनजोदङो दोनो नगरों के अपने दुर्ग थे जहाँ शासक र्वग के लोग रहते थे। प्रत्येक नगर में दुर्ग के बाहर एक-एक उससे निम्न स्तर का शहर था जहाँ ईटों के मकानों में सामान्य लोग रहते थे। हङप्पा तथा मोहनजोदङो के भवन बङे होते थे। मोनजोदङो का अबतक का सबसे प्रसिद्ध स्थल है विशाल सर्वाजनिक स्नानागार,

सिन्धु सभ्यता के प्रमुख शहर:
शहर वर्तमान क्षेत्र
मोनजोदङो लरकाना जिला,सिंध प्रांत
(पाकिस्तान)
हङप्पा साहिवाल जिला, पश्चिमी पंजा (पाकिस्तान)
चन्हूदङो सिंध(पाकिस्तान)
लोथल अहमदाबाद(गुजरात)
कालीबंगा हनुमानगढ़ (राजस्थान)
बनवाली हिसार(हरियाणा)
रंगपुर अहमदाबाद(गुजरात)
रोपङ रूपनगर(पंजाब)
कोटदीजी सिंध(पाकिस्तान)
सुल्कागेंडोर ब्लूचिस्तान(पाकिस्तान)
सुरकोटदा कच्छ(गुजरात)
मांडा जम्मू-कश्मीर
राखीगढ़ी हिसार(हरियाणा)
आलमगीरपुर मेरठ(उत्तर प्रदेश)
धोलावीरा गुजरात
नदियों के पास स्थित शहर:
शहर नदी
लोथल भोगवा
मोहनजोदङो सिंधु
कालीबंगा घग्गर
रोपङ सतलज
हङप्पा रावी
बनवाली सरस्वती
चन्हूदङो सिंधु
मांडा चेनाब
रंगपुर मादर
राखीगढ़ी घग्गर
सूरकोटङा सरस्वती
आलमगीरपुर हिंडन
हङप्पा साहिवाल जिला, पश्चिमी पंजा (पाकिस्तान)
चन्हूदङो सिंध(पाकिस्तान)
लोथल अहमदाबाद(गुजरात)
कालीबंगा हनुमानगढ़ (राजस्थान)
बनवाली हिसार(हरियाणा)
रंगपुर अहमदाबाद(गुजरात)
रोपङ रूपनगर(पंजाब)
कोटदीजी सिंध(पाकिस्तान)
सुल्कागेंडोर ब्लूचिस्तान(पाकिस्तान)
सुरकोटदा कच्छ(गुजरात)
मांडा जम्मू-कश्मीर
राखीगढ़ी हिसार(हरियाणा)
आलमगीरपुर मेरठ(उत्तर प्रदेश)
धोलावीरा गुजरात
नदियों के पास स्थित शहर:
शहर नदी
लोथल भोगवा
मोहनजोदङो सिंधु
कालीबंगा घग्गर
रोपङ सतलज
हङप्पा रावी
बनवाली सरस्वती
चन्हूदङो सिंधु
मांडा चेनाब
रंगपुर मादर
राखीगढ़ी घग्गर
सूरकोटङा सरस्वती
आलमगीरपुर हिंडन
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