Thursday, 10 August 2017

भारत का इतिहास

भारत के इतिहास को तीन भागो मे बॉटा गया है।  
  1. प्रागैतिहासिक/पाषाण काल
  2. आध-ऐतिहासिक काल
  3. ऐतिहासिक काल
प्रागैतिहासिक काल: अधिकांश विद्वानों का मत है कि आज से लगभग 10 लाख वर्ष पूर्व या इससे भी पहले प्राइमेट्स (नर वानर) से ही ऐसे प्राणी का जन्म हुआ जो मानव के समान था। धीरे-धीरे ये प्राणी वृक्षों से उतरकर अपने पीछले पैरों पर खङे होकर चलना सीख गए और पृथ्वी पर ही रहने लगे थे। अर्थात जिस काल की जानकारी के लिए लिखित और प्रमाणिक साधन उपलब्ध हैं उसे विद्वानों ने ऐतिहासिक काल का नाम दिया है तथा जिस काल की जानकारी के लिए हमें कोई लिखित या प्रमाणिक सामग्री प्राप्त नहीं है,उसे प्राक् ऐतिहासिक काल या प्रागैतिहासिक काल कहा जाता है। प्राक् ऐतिहासिक काल के जो औजार एंव हथियार प्राप्त हुअा है वह पाषाण काल के हैं,इसलिए मानव इतिहास के प्रारंभिक काल को पाषाण काल की संज्ञा दी जाती है।
-प्रागैतिहासिक काल को तीन भागो मे बॉटा गया है।
  1. पुरापाषाण काल(आज्ञात काल से8000ई. पू.)
  2. मध्य पाषाण काल(8000ई.पू.से4000ई.पू.)
  3. नव पाषाण काल(4000ई.पू.से2500ई.पू.)
पुरापाषाण काल: 
  • इस काल को आखेटक के रुप में भी जाना जाता है।
  •  भारत में पुरापाषाणकालीन मनुष्य के शारीरिक अवशेष कही से नहीं प्राप्त हुए है।
  • मनुष्यों का जीवन पूर्ण रूप से शिकार पर निर्भर था।
  • इस काल के मानव को अग्नि का ज्ञान था परंतु अग्नि के प्रयोग से अनभिज्ञ थे।
  • इस काल के मानव ग्रिटो जाति के थे।
 मध्य पाषाण काल:
  • भारत में मध्य-पाषाण काल के विषय में जानकारी सर्वप्रथम1857ई. में हुई जब सी.एल.कार्लाइज ने विन्ध्य क्षेत्र से लघु पाषाण उपकरण खोजे थे।
  • मध्य पाषाण काल के औजार छोटे पत्थरों से बने हुए है। इनको माइक्रोलिपिक या सूक्ष्मपाषाण कहा जाता है।
  • भारत में मानव अस्थिपंजर सर्वप्रथम मध्यपाषाण काल से प्राप्त हुअा था।
  • भीलवाङा जिले में कोठारी नदी के तटपर स्थित बागौर भारत का सबसे बङा मध्यपाषाणिक स्थल है
  • पशुपालन मध्य पाषाण काल से ही शुरु हुआ था। इसका प्रथम साक्ष्य आमदगढ़ प्राप्त हुए हैं।
  • मध्य प्रदेश में पंचमढ़ी के निकट मध्य पाषाण युग के 2 शैलाश्रय मिले जिनका नाम 1. जम्बूदीप 2. डेरोथोद्वीप हैं।
नवपाषाण काल:
  • यूनानी भाषा का Neo शब्द नवीन के अर्थ प्रयुक्त होता है। इस लिए इस काल को 'नवपाषाण काल' भी कहा जाता है। भारत में नवपाषाण काल में पुरातात्विक खोज प्रारंभ करने का श्रेय डॉ. प्राइमरोज को जाता है,जो 1842 ई.में कर्नाटक के लिंग सुगुर नामक स्थल से उपकरण खोजे थे।
  • सर्वप्रथम 1860 में 'ले मेसुरियर' ने उस काल का प्रथम प्रस्तर उपकरण उत्तर प्रदेश की लैंस नदी की घाटी से प्राप्त किये।
  • नवपाषाण युगीन प्राचीनतम बस्ती पाकिस्तान में स्थित ब्लूचिस्तान प्रांत में मेहरगढ़ में है।
  • इस युग के लोग पालिशदार पत्थर के औजार व हथियारों का प्रयोग करते थे।
  • इलाहाबाद में स्थित कोहलडिहवा एक मात्र ऐसा नव पाषाणिक पुरास्थल है जहां से चावल या धान का प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुए है।
  • नव पाषाण युग के निवासी सबसे पुराने कृषक समुदाय थे। ये लोग स्थायी घर बनाकर रहने लगे।
  • पहिये व कृषि का अविष्कार नव पाषाण युग में हुअा था। 
आध-ऐतिहासिक काल:
आध-ऐतिहासिक काल को दो खण्डों में बॉटा गया है।
  1. सिन्धु घाटी सभ्यता
  2. वैदिक काल
सिन्धुघाटी सभ्यता( 2500BC-1750BC)
  • भारत के इतिहास की शुरुआत सिन्धु घाटी सभ्यता से मानी जाती है। सिन्धु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओ में से एक प्रमुख सभ्यता है। हड़प्पा सभ्यता या सिंधु घाटी सभ्यता को इस नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि इसके प्रथम अवशेष हङप्पा नामक स्थल से प्राप्त हुए थे तथा इसके आरंभिक स्थलोंं में से अधिकांश सिन्धु नदी के किनारे स्थित थे।हङप्पा इसके प्रमुख केन्द् थे। यह भारतीय उप-महाद्वीप में 'प्रथम नगरीय क्रांति' के अवस्था को दर्शाति है। सर्वप्रथम चालर्स मैसेन ने 1826ई. मे हङप्पा नामक स्थल पर एक प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिलने के प्रमाण की पुष्टि किये थे। कनिघंम ने 1856 में इस सभ्यता के बारे में सर्वेक्षण किया। 1921में दयाराम साहनी ने हङप्पा का उत्खनन किया।प्रथम बार नगरों के उदय के कारण इसे प्रथम नगरीकरण भी कहा जाता हैं। प्रथम बार कास्य के प्रयोग के कारण इसे कास्य सभ्यता भी कहा जाता हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता के 1400 केन्दों को खोजा जा चुका हैं जिसमे से 925 केन्द् भारत में हैं।80 प्रतिशत स्थल सरस्वती नदी और उसकी सहायक नदीयों के आस-पास है। 




1 comment:

  1. Thank you ma,am for sharing the history knowledge since beginning.
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    Kindly post the other topics asap.

    Thanks in advance

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Thank you for comment