Tuesday, 5 September 2017

वेद व वैदिक युग में प्रयुक्त शब्द (वैदिक काल अथवा वैदिक सभ्यता: भाग-3)

वेद:
     वेद विद् शब्द से बना है। जिसका अर्थ ज्ञान होता है। यह सूक्तों,प्राथनाओं,स्तुतियों,मंत्र-तंत्रों तथा यज्ञ संबंधी सूत्रों के संग्रह है। वेदों को संहिता भी कहा जाता है क्योंकि यह वेदव्यास द्धारा संकलित किये गये थे। वेदों का एक नाम 'श्रुति' भी है,क्योंकि संकलित किये जाने से पूर्व यह गुरू-शिष्य परम्परा में कण्ठस्थ कराये जाते थे।
वेदों की संख्या:
  1.   ऋग्वेद(सर्वाधिक प्राचिन)
  2. यजुर्वेद
  3. सामवेद
  4. अथर्ववेद
ऋग्वेद:
  • यह सूक्तों का संग्रह है
  • इसमें विभिन्न देवताओं की स्तुति में गाये गये मंत्रों का संग्रह है।
  • रचना: सप्तसैंधव प्रदेश में हुई।
  • संकलनकर्त्ता: महर्षि कृष्ण द्वैयापन (उपनाम वेदव्यास)
  • विवरण: इसमें कुल 10 मण्डल, 1028 सूक्त तथा 10462 मंत्र अथवा श्लोक हैं। ऋग्वेद के 3 पाठ(1.साकल:10 मण्डल तथा 1017 सूक्त, 2.बालखिल्य: 11 सूक्त, 3. वाष्कल: 56 मंत्र ) मिलते हैं।
  • ऋग्वेद के 10 मंडलों में दूसरे से 7वें मंडल तक प्राचीन माने जाते है; जिन्हें वंश मंडल कहा गया है। 
  • ऋग्वेद के ब्राहाण: एएेतरेय व ककौशतिकी।
  • आयुर्वेद को ऋग्वेद का उपवेद कहा जाता है।
  • ऋग्वेद की सर्वाधिक पवित्र नदी सरस्वती थी। इसे नदीतम कहा गया है।
  • ऋग्वेद में यमुना का उल्लेख 3 बार एंव गंगा का उल्लेख 1बार 10वें मंडल में मिलता है।
  • ऋग्वेद में पुरूष देवताओं की प्रधानता है। इंद्र का वर्णन सबसे अधिक 250 बार किया गया जबकि इंद्र को पुरंदर कहा गया है जिसका अर्थ दुर्ग को तोङने वाला है जबकि अग्नि का 200 बार उल्लेख मिलता है।
  • 'अस्तों मा सद्गमय' वाक्य ऋग्वेद से लिया गया है।
  • ऋग्वेद में दस्थुहत्या शब्द का उल्लेख मिलता है पर दासहत्या का नहीं। ऋग्वेद में किसी तरह के न्यायाधिकारी का उल्लेख नहीं है। ऋग्वेद की अनेक बातें अवेस्ता से मिलती है। अवेस्ता ईरानी भाषा का प्राचीनतम ग्रंथ है।
यजुर्वेद:
  • यजु का अर्थ यज्ञ होता है। इसमें यज्ञ की विधियों का प्रतिपादन किया गया है। इसमें यज्ञ बलि संबंधी मंत्रों का वर्णन है। 
  • यजुर्वेद के 2 प्रधान रूप: 1. कृष्ण यजुर्वेद-इसकी 4 शाखायें हैं। (1) काठक, (2) कपिष्ठल, (3) मैत्रेयी, (4) तैतित्तरीय संहिता। 2. शुक्ल यजुर्वेद इसे 'वाजसनेयी संहिता' भी कहते है।
  • 2 शाखायें: (1) कण्व, (2) ममध्यान्दिन।
  • शुक्ल यजुर्वेद (वाजसनेयी संहिता) को ही अधिकांश विद्वान वास्तविक यजुर्वेद मानते है।
  • यजुर्वेद का अंतिम अध्याय 'ईशोपनिष्द 'अध्यात्म चिन्तन से संबंधित है।
  • यजुर्वेद का आरण्यक: तैत्तिरीय है।
  • यजुर्वेद में हाथियों के पालने का उल्लेख है।
  • यजुर्वेद का ऋत्विक 'अध्वर्यु' कहलाता था जिसका कार्य इस वेद के मौलिक गध भाग को पढ़ना तथा यज्ञ संबंधी कार्य करना था।
  • धनुर्वेद को 'यजुर्वेद का उपवेद' कहा जाता है। यजुर्वेद में सर्वप्रथम राजसूय तथा वाजपेय यज्ञ का उल्लेख है।
सामवेद:
  • साम का अर्थ 'गान' से है।
  • साम वेद से ही सर्वप्रथम 7 स्वरों ( सा....रे....गा..... मा ) की जानकारी प्राप्त हुई थी। इसलिए इसे भारतीय संगीत का जनक माना जाता है।
  • गंधर्ववेद सामवेद का उपवेद है।
  • 3 शाखायें: 1.कौथुम 2. राणायनीय 3. जैमिनीय।
  • 'कौथुम' शाखा अधिक प्रचलित तथा प्रमाणिक है।
  • पुराणों में सामवेद की सहस्त्र शाखाओं का उल्लेख है।
  • सामवेद के 2 भाग है 1.पूर्वाचिक 2.उत्तरार्चिक।
  • सामवेद व अथर्ववेद के कोई आरण्यक नहीं है।
  • सामवेद के ब्राहाण: पंचविश, षडविश,जैमिनीय तथा छान्दोग्य।
  • सामवेद का ऋत्विक 'उद्गाता' कहलाता था जिसका कार्य ऋचाओं का सस्वरगान करना था।
  • सामवेद का उपवेद 'गन्धर्ववेद' कहलाता है।
अथर्ववेद:
  • अथर्ववेद को ब्राहावेद (श्रेष्ठ वेद ) भी कहा जाता है।अथर्वा ऋषि के नाम पर इस वेद का नाम अथर्ववेद पङा।
  • अथर्ववेद का ब्राहाण 'गोपथ' है इसमें याज्ञिक अनुष्ठानों का वर्णन नहीं है।
  • अथर्ववेद में 20 अध्याय,731सूक्त व 6000 मंत्र है। इसमें वशीकरण, जादू-टोना, भूत-प्रेतोंऔषधियों से सम्बद्ध मंत्रों का वर्णन है।
  • अथर्ववेद के उपनिषद् मुण्डक, माण्डूक्य और प्रश्न है।
  • अथर्ववेद में 'मगध' तथा 'अंग' क्षेत्र में रोग फैलने की कामना की गयी है।
  • अथर्ववेद में कुरू के राजा परीक्षित का उल्लेख है। जिन्हें मृत्युलोक का देवता बताया गया है।
  • अथर्ववेद का उपवेद 'शिल्पवेद' कहलाता है।
  • काशी का प्राचीनतम उल्लेख अथर्ववेद में ही मिलता है।
  • अथर्ववेद के मंत्रों का उच्चारण करने वाले पुरोहित को ब्रहा कहा जाता है।
  • अथर्ववेद में सभासमिति को प्रजापति की 2पुत्रियां कहा गया है।
वैदिक युग में प्रमुख प्रयुक्त शब्द:
अर्थ                                    शब्द
1.राजा                                गोप्ता
2.धनी                                 गोमत
3.दूरी                                  गवयुति
4.समय                               गोधूलि
5.अतिथि                            गोहंता/गोहन
6.युद्ध                                 गविष्ट, गेसु, गम्य
7.पुत्री                                 दुहिता
8.गाय                                 अधन्या (जिसका वध न हो)
9.बढ़ई                                तक्षन
10.जुलाहा                           वाय
11.नाई                               वाप्ती
12.हलवाहा                         किवास
13.अनाज कोठार                 स्थीवी
14.मरूस्थल                        धन्व
15.अनाज                          धन्य
16.उर्वरा                            जुते हुए खेत
17.खिल्य                           पशुचारण योग भुमि/चारागाह
18.कुल्या                           बङी नहर
19.लांगल                           हल के लिए
20.करीष                            गोबर की खाद
21.सीता                             हल से बनी नालियां

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